द फॉलोअप डेस्क
मंगलवार को ओडिशा विधानसभा में उस वक्त हंगामा मच गया जब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कांग्रेस के विधायकों के बीच तीखी बहस छिड़ गई। मामला इतना बढ़ गया कि विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी को कार्यवाही अपराह्न तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया जब भाजपा के वरिष्ठ विधायक जय नारायण मिश्रा, कांग्रेस विधायक ताराप्रसाद बहिनीपति की ओर तेजी से बढ़े। उस समय बहिनीपति शहरी विकास मंत्री के.सी. महापात्र के सामने खड़े थे और मंत्री किसी प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। बाद में मीडिया से बातचीत में बहिनीपति ने आरोप लगाया, "मिश्रा ने मेरे शर्ट का कॉलर पकड़कर मुझे धक्का दिया। मैं मंत्री महापात्र से सिर्फ इतना कह रहा था कि जब सदन में व्यवस्था नहीं है, तो वे जवाब न दें, लेकिन अचानक मिश्रा आए और मुझ पर हमला कर दिया।"
इसके बाद सत्ता पक्ष और कांग्रेस विधायकों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे सदन में अव्यवस्था फैल गई। भाजपा और कांग्रेस के सदस्य एक-दूसरे को धक्का देते नजर आए। वहीं, बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्य पूरे घटनाक्रम से दूर ही रहे।
लगातार दूसरे दिन भी विधानसभा में हंगामा
यह लगातार दूसरा दिन था जब विधानसभा में भारी हंगामा हुआ। बीजद विधायकों ने भाजपा विधायक मिश्रा की उस टिप्पणी पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी से स्पष्टीकरण की मांग की, जिसमें उन्होंने 1936 में तत्कालीन कोसल के ओडिशा में विलय को 'ऐतिहासिक गलती' बताया था। दूसरी ओर, कांग्रेस विधायक राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
विपक्षी विरोध के बीच अध्यक्ष पाढ़ी ने लगभग 30 मिनट तक प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया, लेकिन हंगामे के कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। मुख्यमंत्री की लगातार गैरमौजूदगी से नाराज बीजद विधायकों ने विधानसभा परिसर में लालटेन जलाकर सांकेतिक विरोध दर्ज कराया और मुख्यमंत्री कक्ष के बाहर धरना भी दिया। ओडिशा विधानसभा में जारी इस राजनीतिक घमासान से यह साफ हो गया है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव आगे भी जारी रहेगा।